Monday, 20 September 2021

भारत यात्रा / काला पानी की सजा वाली सेलुलर जेल जिसकी यादें ही रूह कंपा देती हैं, वहां क्रान्तिकारियों ने ​झेली यातनाएं .काला पानी की सजा से क्यों कांपते थे कैदी? जानें 20 बातें...

Kala Pani ki saja: इस संसार में कई सारी जेले है जो अपराध करने वाले कैदियों को सजा देने के लिए बनाई गई है। पर कई ऐसी जेले ऐसी है जिनके नाम से कैदियों के पसीने छुट जाते है। इतिहास में हम अक्सर ब्रिटिस हुकूमत के दौर में काला पानी की सजा के बारे में पढ़ते हैं। काला पानी की Cellular Jail जेल में ऐसा क्या था जो कैदियों को यहाँ सजा कटाने के लिए भेजा जाता था?

आज हम( the viral news live) आपको बताएँगे कि आखिर काले पानी की सजा क्या होती है और कैदी इसके नाम भर से ही क्यों कांपते थे? और क्यों Kala Pani ki saja को एक क्रूर और खतरनाक श्रेणी में गिना जाता है? आइए इसके बारे में जानते हैं…

 

काला पानी की सजा क्या है?

kala pani ki saja kya hoti hai

काला पानी की सजा (kalapani)को ही सेल्युलर जेल भी कहा जाता है। सेल्युलर जेल का निर्माण अंडमान निकोबार दीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर पर बनाई गई है। Cellular Jail का निर्माण अंग्रेंजो ने किया था। इसकी योजना 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजो के दिमाग में ई थी। अंग्रेजो ने इस जेल को स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद करने के मकसद से बनाया था। काला पानी की सजा या सेल्युलर जेल को बनाने में लगभग 10 साल का समय लगा।

सेल्युलर जेल में कुल 3 मंजिल और 7 शाखाएँ थी जिसमे 696 सेल मौजूद थे. इस जेल के हर सेल का आकार 4.5 m×2.7m था। जब भी किसी स्वतंत्रता सेनानी को कला पानी की सजा सुनाई जाती थी तो उसे अपने देश से हजारों मील दूर यहाँ सेल्युलर जेल में रखा जाता था क्योकि यहाँ से कोई भागना भी चाहता था तो वो भाग नहीं सकता था इसका कारण यह था की इस जेल के चारों तरफ पानी ही पानी था।

इस जेल को सेल्युलर क्यों कहा जाता है?

इस जेल को सेल्युलर जेल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां हर एक कैदी को एक दूसरे से अलग रखा जाता था और जेल में हर कैदी के लिए अलग-अलग सेल होती थी जिससे की वे आपस में बात ना कर सकें। इस जेल में कैदियों को बेड़ियों से बांध कर रखा जाता था। इसीलिए इसे कहा जाता है और इसकी यहाँ की क्रूरता की वजह से ही इसे kale pani ki saza भी कहा जाता है।

 

यहाँ पर कौन-कौन क्रांतिकारियों ने सजा काटी है?

हमारे देश की आजादी में अनेकों शहीदों का योगदान रहा और हजारों वीर क्रांतिवीरों ने जेल की यातनाएं भोगी। सेल्यूलर जेल में kala pani ki saja काटने वालों में कुछ बड़े नाम हैं निम्नलिखित है। बटुकेश्वर दत्त, विनायक दामोदर सावरकर, बाबूराव सावरकर, सोहन सिंह, मौलाना अहमदउल्ला, मौवली अब्दुल रहीम सादिकपुरी, मौलाना फजल-ए-हक खैराबादी, S.चंद्र चटर्जी, डॉ. दीवान सिंह, योगेंद्र शुक्ला, वमन राव जोशी और गोपाल भाई परमानंद आदि।


क्या है काला पानी

हम जब अपने देश के स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, तो हमें उस कालापानी की याद भी आ जाती है, जो अंग्रेजों की बर्बरता को बताने के लिए काफी है। कालापानी एक ऐसी सजा होती थी, जिसका ख्याल आने भर से उस वक्त के लोगों  के रोंगटे खड़े हो जाते थे। हालांकि अब देश में ‘सजा ए कालापानी’ का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है, फिर भी लोगों को इसके बारे में जानने की दिलचस्पी लगातार बनी हुई है। सेलुलर जेल में कालापानी शब्द अंडमान के बंदी उपनिवेश के लिए देश निकला देने का पर्याय है। कालापानी का भाव सांस्कृतिक शब्द काल  से बना है जिसका अर्थ होता है समय अथवा मृत्यु अर्थात कालापानी शब्द का अर्थ मृत्यु जल या मृत्यु के स्थान से है जहाँ से कोई वापस नहीं आता है। देश निकालों के लिए कालापानी का अर्थ बाकी बचे हुए जीवन के लिए कठोर और अमानवीय यातनाएँ सहना था। कालापानी यानि स्वतंत्रता सेनानियों उन अनकही यातनाओं और तकलीफ़ों का सामना करने के लिए जीवित नरक में भेजना जो मौत की सजा से भी बदतर था। अपनों से दूर भेजने का अर्थ होता है वो यात्रा जो मृत्यु की घड़ी तक ले जाता हो। बंदी को हमेशा के लिए उसके समाज से दूर ले जाया जाता है। उसे वहाँ भेजा दिया जाता है जहाँ लोग रहते हैं पर अदृय्ष्य लोक है जहाँ अति विस्मयकारी तत्त्व हैं। जहाँ के बारे में वो कुछ नहीं जानता है।इसलिए कहते हैं सेलुलर जेल

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित सेलुलर जेल एक ऐसी जेल है जहां पर अंग्रेजों ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे भारतीयों को बहुत ही अमानवीय परिस्थितियों में निर्वासित और कैद करके रखा था। वर्तमान में यह एक राष्ट्रीय स्मारक है, इसे सेलुलर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका निर्माण एकान्त कारावास के उद्देश्य से केवल व्यक्तिगत सेलों का निर्माण करने के लिए किया गया था। मूल रूप से, इमारत में सात विंग थे, जिसके केंद्र में एक बड़ी घंटी के साथ एक टॉवर बना हुआ था, जो गार्ड द्वारा संचालित होता था। प्रत्येक विंग में तीन मंजिलें थीं और प्रत्येक एकान्त सेल की लंबाई-चौड़ाई लगभग 15 फीट और 9 फीट थी, जिसमें 9 फीट की ऊंचाई पर एकमात्र खिड़की लगी हुई थी। इन विंगों को एक साइकिल के स्पोक्स जैसा बनाए गया था और एक विंग के सामने दूसरे विंग के पिछले हिस्से को रखा गया था इसलिए एक कैदी को दूसरे कैदी के साथ संवाद करने का कोई भी माध्यम उपलब्ध नहीं था।





 

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